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वसंत पंचमी पर कैसे करे माँ सरस्वती की आराधना

vasant panchmi

ऐसे कई लोग है जो चाहते है कि हर सुन्दर गुण उनके जीवन में समा जाए।  ऐसे में आपको वसंत पंचमी के अवसर पर सरस्वती साधना सिद्धि अवश्य करनी चाहिए।

क्या है साधना विधान?

  • इस साधना का प्रयोग किसी भी पुष्य नक्षत्र में शुरू कर सकते हो।  लेकिन ध्यान रहे कि वसंत पंचमी पर यह विशेष रूप से करे।
  • इस साधना को करने के लिए किसी भी शुभ मुहूर्त में किसी शांत स्थान या फिर मंदिर में पूर्व दिशा की ओर मुँह करके बैठे।
  • जहा आप बैठे उसके सामने लकड़ी का एक बाजोट रखे।  उसके बाद में बाजोट पर सफ़ेद वस्त्र बिछाए तथा उसके ऊपर सरस्वती देवी का चित्र लगाए।
  • उसके बाद में उस बाजोट पर एक ताम्बे की थाली रखे।  अगर आपके पास में कोई तांबे की थाली ना हो तो आप किसी भी अन्य पात्र को रख सकते है।
  • थाली के अंदर कुमकुम या फिर केसर से रंगे हुए चावलों की एक ढेरी रखे।
  • उसके बाद में इन चावलों की ढेरी पर प्राण प्रतिष्ठित एवं चेतनायुक्त शुभ मुहूर्त में सिद्ध किया हुआ सरस्वती यंत्र स्थापित करे।
  • इसके बाद में सरस्वती माता को पंचामृत से स्नान कराए। एवं सबसे पहले दूध से स्नान कराए, फिर दही से, फिर घी से स्नान करवाए, फिर शक़्कर और उसके बाद में शहद से स्नान करवाए।
  • केसर या फिर कुमकुम से यंत्र तथा चित्र पर तिलक करे।
  • तिलक करने के बाद में दूध से बने हुए नैवेद्य का भोग माँ सरस्वती को अर्पित करे।
  • उसके बाद में आँखें बंद करके माता सरस्वती का ध्यान करे तथा माँ सरस्वती की माला से निम्न मंत्र की 11 माला मंत्र का जाप करे।

ॐ श्री ऐं वाग्वाहिनी भगवती

सन्मुख निवासिनि

सरस्वती ममास्ये प्रकाशं

कुरू कुरू स्वाहा:

  • माता सरस्वती से अपने एवं अपने बच्चों के लिए ऋद्धि-सिद्धि, विद्यार्जन, तीव्र स्मरण शक्ति आदि के लिए प्रार्थना करें।  

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