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भारत के उत्तर भाग में 50 के पार, इस तरह रखें खुद को सुरक्षित

50 degree temperature

जैसा की आप जानतें हैं की उत्तर भारत में भीषण गर्मी पद रही है। जिस कारण से थकावट, हीट-स्ट्रोक, बुखार, शरीर में पानी की कमी आदि समस्याएँ आ सकती हैं।  साथ ही अन्य लक्षण भी देखने को मिल सकते हैं जैसे सिरदर्द, प्यास, मतली या उल्टी, नाड़ी तेज चलना जैसी समस्याएं आ सकती हैं।

उत्तर भारत में गर्मी ज्यादा पड़ने की वजह से बच्चों, बुजुर्गों और पहले से बीमार लोगों को सावधान रहना चाहिए।  गर्मी के कारण  शरीर में ऐंठन, थकावट और हीट-स्ट्रोक सहित कई स्वास्थ्य समस्याएं आ सकती हैं।  इसलिए खूब पानी पीना चाहिए  ताकि शरीर ‘हाइड्रेटेड’ रहे।

गर्मी में थकावट, हीट-स्ट्रोक, बुखार, शरीर में पानी की कमी हो सकती है और अन्य लक्षण- जैसे सिरदर्द, प्यास, उल्टी, नाड़ी तेज चलने जैसी समस्याएं हो सकती हैं। थकावट और हीट स्ट्रोक के बीच अंतर यह है कि हीट स्ट्रोक में पसीना नहीं आता है।

हार्ट केयर फाउंडेशन ऑफ इंडिया के डॉ. बताते हैं कि गर्मी की थकावट तब महसूस होती है, जब तापमान 37 से 40 डिग्री सेल्सियस के बीच होता है।  हीट स्ट्रोक में तापमान बहुत ज्यादा होता है, और कुछ ही मिनटों  के अंदर इसे कम करने की जरूरत पड़ती है।

उन्होंने कहा कि “नम स्पंज के प्रयोग  से ठंडे या टैपिड स्नान की मदद से शरीर को ठंडा किया जा सकता है। ध्यान  कि पानी में गहरे जाने या कूलिंग ब्लेंकेट का उपयोग करने से बचें। आपको तुरंत चिकित्सा की सहायता लेनी चाहिए अगर आपको कुछ इस तरह के लक्षण दिखते हैं जैसे पसीना आना, शुष्क बगल, 7 घंटे तक मूत्र न आना या गर्मियों में तेज बुखार होना। इस मौसम में  सभी को सावधानी बरतनी चाहिए। जिन लोगों को नमक लेने पर प्रतिबंध है या जो मूत्रवर्धक दवा ले रहे हैं, उन्हें तुरंत किसी विशेषज्ञ से संपर्क करना चाहिए।

डॉ. अग्रवाल ने बताया कि “ज्येष्ठ का महीना पानी के संरक्षण, जल स्वच्छता बनाए रखने और लोगों को जलदान करने के लिए जाना जाता है।  इसका ध्यान तो रखें ही, साथ ही शौचालय जाने के बाद हाथ धोएं , स्नान करें और नियमित रूप से कपड़े और बर्तन धोना भी जरुरी है।  स्वच्छता नहीं रखने से किसी को भी डायरिया, टाइफाइड और पीलिया जैसी खतरनाक बिमारी हो सकती है।

गर्मी के प्रकोप  से बचने के लिए सुनिश्चित करें कि आपका शरीर पर्याप्त रूप से हाइड्रेटेड रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि गर्मियों के दौरान हर व्यक्ति को एक ‘मेडिकल व्रत’ का महत्व समझना चाहिए। व्रत का सबसे आसान तरीका यह हो सकता है कि हफ्ते में एक बार कार्बोहाइड्रेट नहीं खाया जाए, बल्कि सिर्फ फलों और  सब्जियों से पेट भरा जाए।

ऐसे रखें खुद को सुरक्षित

  • अधिक तापमान में आपको धुप में बाहर लम्बे समय तक नहीं रहना चाहिए। यदि आपको बाहर कोई काम है तो छतरी का प्रयोग जरूर करें। गर्मी के प्रकोप से बचने के लिए हल्के सूती कपड़े पहनने चाहिए।
  • सुनिश्चित कर लें कि आप गर्मी में बाहर निकलने से पहले ठीक से हाइड्रेटेड हैं कि नहीं।  गर्मियों में पानी की जरूरत 400 मिलीलीटर से अधिक है।  समर ड्रिंक्स जैसे कि पन्ना, खसखस, गुलाब जल, नींबू पानी, बेल शरबत और सत्तू का शर्बत आदि को तजा और ठंडा होना चाहिए।
  • किसी भी पेय में अगर 10 प्रतिशत से अधिक चीनी है तो वो सॉफ्ट ड्रिंक बन जाता है और उससे बचना चाहिए। चीनी, गुड़ या खांड का प्रतिशत 3 होना चाहिए, जोकि ओरल रिहाइड्रेशन ड्रिंक में होता है।
  • हाइड्रेशन ठीक से हो रहा है कि नहीं इसका पता तब पड़ता है जब 7  घंटे में कम से कम एक बार आप मूत्र  करतें हैं। अगर आप गर्मी में ऐंठन महसूस करते हैं, तो चीनी और नमक के साथ नींबू-पानी भी खूब पीएं।

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