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जानिए कैसे है मासूमों का भविष्य खतरे में है- बाल मजदूरी

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हाल ही में कुछ दिनों पहले पूरी दुनिया ने एंटी चाइल्ड लेबर डे सेलिब्रेट किया था। सूत्रों के मुताबिक पता लगा है कि उस दिन की शुरुआत साल 2002 में 14 साल से कम उम्र के बच्चो को बाल मजदूरी से निकालकर शिक्षा दिलाने के उद्देश्य से द इंटरनेशनल लेबर आर्गेनाइजेशन ने की थी।  लेकिन अभी तक भी बाल मजदूरी पर लगाम पाना उतना ही मुश्किल है।

अभी तक भी भारत में बाल मजदूरी को लेकर कोई सुनिश्चित आकड़े उपलब्ध नहीं है। लेकिन कहा जाता है कि साल 2011 की जनगणना के अनुसार भारत में 5-14 आयु वर्ग के एक करोड़ से भी ज्यादा बच्चे बाल श्रम की दलदल में धकेले गए है। एक रिपोर्ट के जरिये यह पता लगा है कि पूरी दुनिया में 15. 2 करोड़ बच्चे बाल मजदूरी करने के लिए मजबूर है।

ज्यादातर भारत में मजदूरी करने वाले बच्चों में से एक बड़ी तादाद ग्रामीण इलाको से तालुक रखती है। कहा जाता है की 80 प्रतिशत बाल मजदूरी की जड़े ग्रामीण इलाको में ही फैली है।

भारत में कहा है सबसे ज्यादा बाल मजदुर?

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कहा जाता है कि भारत में बाल मजदूरों का सबसे ज्यादा आकड़ा 5 राज्यों में है उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश है। कहा जाता है सबसे ज्यादा बाल मजदुर उत्तर प्रदेश और बिहार में है। रिपोर्ट में यह बात साफ़ हुई है कि उत्तर प्रदेश में 21.5 फीसदी यानी 21.80 लाख और बिहार में 10.7 फीसदी यानी 10.9 लाख बाल मजदूर हैं। राजस्थान में 8.5 लाख बाल मजदूर हैं।

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