नई खबर

बोफोर्स कांड में नया मोड़ : हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ 13 साल बाद सुप्रीम कोर्ट पहुंची सीबीआई, मुश्किल में कांग्रेस

बोफोर्स कांड में नया मोड़ : हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ 13 साल बाद सुप्रीम कोर्ट पहुंची सीबीआई, मुश्किल में कांग्रेस

भारत और स्वीडिश आयुध निर्माण कंपनी एबी बोफोर्स के बीच 1437 करोड़ रुपये मूल्य के 155एमएम के कुल 400 हॉवित्सजर गन खरीदने का सौदा 24 मार्च 1986 को हुआ था।

बोफोर्स सौदे में 64 करोड़ रुपये की दलाली से जुड़े केस में अब नया मोड़ आ गया है। दिल्ली हाई कोर्ट द्वारा सभी आरोपियों को बरी करने के करीब 13 साल बाद सीबीआई ने इस मामले में अब सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। शुक्रवार (2 फरवरी) को सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती दी है। बता दें कि दिल्ली हाईकोर्ट ने इस मामले में 31 मई, 2005 को हिन्दुजा बंधुओं समेत सभी आरोपियों को बरी कर दिया था। यह केस 1987 में सामने आया था और तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी पर भी इसमें शामिल होने के आरोप लगे थे। माना जा रहा है कि सीबीआई ने अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल की सलाह पर हाई कोर्ट के फैसले को एक दशक से ज्यादा समय बाद सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।

गौरतलब है कि स्वीडन से बोफोर्स तोप खरीदने के लिए 64 करोड़ रुपये दलाली के आरोप यूरोपीय व्यापारी हिन्दुजा बंधुओं समेत तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी और इटैलियन बिजनेसमैन ओतावियो क्वात्रोच्ची पर लगे थे। उस समय सियासी जगत में इस पर काफी हंगामा हुआ था। भारत और स्वीडिश आयुध निर्माण कंपनी एबी बोफोर्स के बीच 1437 करोड़ रुपये मूल्य के 155एमएम के कुल 400 हॉवित्सजर गन खरीदने का सौदा 24 मार्च 1986 को हुआ था। इसके बाद 16 अप्रैल 1987 को स्वीडिश रेडियो ने दावा किया था कि कंपनी ने इस रक्षा सौदे को पाने के लिए भारत में उच्च पदस्थ राजनीतिज्ञों और रक्षा अधिकारियों को दलाली दी है। बाद में सरकार ने इसकी जांच सीबीआई से कराने का आदेश दिया था। सीबीआई ने 22 जनवरी, 1990 को इस मामले में प्राथमिकी दर्ज की थी। सीबीआई ने बिन चड्ढा और हिन्दुजा भाइयों को मामले में मुख्य आरोपी बनाया था।

बाद में 1 मई, 2005 को दिल्ली हाईकोर्ट के तत्कालीन न्यायाधीश आर एस सोढ़ी ने तीनों हिंदूजा भाइयों (श्रीचंद, गोपीचंद व प्रकाशचंद ) और बोफोर्स कंपनी के खिलाफ सभी आरोप रद्द कर दिए थे और सीबीआई को फटकार लगायी थी कि उसकी वजह से इस मामले में सरकारी खजाने को करीब 250 करोड़ रुपये का बोझ उठाना पड़ा।

इससे पहले अटॉर्नी जनरल ने सीबीआई को बीजेपी नेता और वकील अजय अग्रवाल की याचिका के समान ही केस बनाने को कहा था। अग्रवाल ने भी हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में यह कहते हुए चुनौती दी थी कि सीबीआई 90 दिनों के अंदर स्पेशल लीव पेटिशन (एसएलपी) दायर करने में फेल रही है। बता दें कि इससे पहले अक्टूबर में सीबीआई ने बोफोर्स मामले में सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दाखिल करने के लिए सरकार से मंजूरी देने का आग्रह किया था।

source: jansatta.com

Related posts

टीवी देखते समय स्नैक्स के सेवन से बचे

roundbubble

10 Online Shopping Tips to Save Money

roundbubble

मुकेश अंबानी की कारों का जबरदस्त कलेक्शन देखने के लिए क्लिक करे

roundbubble

8 comments

Leave a Comment