हमारे मन में सबसे पहले एक ही सवाल आता है की
हमारा साथ कोई क्यों दे ?
इस सवाल के उतर में थीं बाते सामने आई –
1. मजबूरी
कोई ऐसी मजबूरी आ जाती है कि हमें किसी के साथ या किसी को हमारे साथ लंबा चलना पड़े। यहीं चौंकाने वाली बात सामने आती है कि अब तो लोगों ने अपनापन भी मजबूरी में बदल दिया है।
2.अपनापन-
लोग अपनेपन के कारण भी साथ चलते हैं।कई घरों में रिश्ते निभाते हुए लोग एक-दूसरे के प्रति मजबूरी का अपनापन लिए चल रहे हैं।
3.व्यवस्था का दबाव-
हम किसी व्यवस्था का हिस्सा हों, कहीं नौकरी या कोई व्यवसाय कर रहे हों तो कुछ लोगों के साथ चलना पड़ेगा या कुछ हमारे साथ चलेंगे।
एक भक्त का, योगी का मन निर्मल होता है और निर्मल मन से जो तरंगें निकलती हैं वो दूसरों को आकर्षित करेंगी ही। यह चौथा प्रयोग इसलिए जरूरी हो गया है कि यदि ऐसा नहीं हुआ तो सारे रिश्ते एक-दूसरे को ढोएंगे, घसीटते हुए चलेंगे। कोई बड़ा अभियान नहीं चलाना है। थोड़ा समय निकालिए, योग से जुड़िए और अपने व्यक्तित्व से सकारात्मक तरंगें प्रवाहित कीजिए।
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